मटका-की-कहानी

मटका की कहानी

मटका की कहानी  :- एक दिन आश्रम का एक मटका हँस रहा था । जोर जोर से हँस रहा था । पूछा कि क्यों हँसते हो ? तो बोला कि जब मैं सख्त भूमि की मिट्टी था, मुझे फावड़े से काटा जा गया । फिर मुझे पानी में मिला कर पैरों से रौंदा गया, चाक पर चढ़ा कर गोल गोल घुमाया गया, कड़ी धूप में सुखा कर, आग में पकाया गया, तब मैं बहुत रोया, बहुत तड़पा । तब मुझे मालूम न था कि एक दिन मेरी इतनी कीमत होगी, कि मैं संतों की प्यास बुझाने के काम आऊँगा । स्वयं भी शीतल रहूँगा, जगत को शीतल करने वाले संतों को भी शीतल करूंगा

लगभग ऐसा ही कुछ स्वर्ण हार के स्वर्ण ने भी कहा, उसमें जड़े हीरे ने भी कहा ।

मेरे भाई बहन । विपत्ति को भगवान का कोप नहीं, कृपा मानो । देखो, अच्छा कपड़ा ही एकाध दाग पड़ने पर धोया जाता है । उसे ही गर्म पानी में डुबोया जाता है, साबुन से रगड़ा जाता है, डण्डे से पीटा जाता है, तार पर उल्टा लटका कर, गर्म इस्त्री से सीधा किया जाता है, फिर किसी महत्वपूर्ण अवसर पर मचल कर पहना जाता है । और जो कपड़ा पुराना है, अधिक मैला कुचैला है, उसे नहीं धोया जाता, उसे तो उठा कर एक तरफ रख दिया जाता है । पर जब मशाल की आवश्यकता होती है, तब जाके उसे लाठी पर बाँध कर, फिर तेल में भिगो कर तब आग लगा दी जाती है ।
क्या आप बता सकते है कि ऐसा कौन सी माँ होगी जो अपने कीचड़ और मल से लथपथ बच्चे को रगड़ रगड़ कर नहीं नहलाऐगी ? एक बार में मैल न उतरे तो दो बार, तीन बार साबुन लगाती है । बच्चा कितना ही रोए, माँ पसीजती नहीं। कहती है कि यह मैल आज ही उतारूंगी, यह मेरा लाडला बेटा (बच्चा) है । एकबार इसको अच्छे से साफ – सुथरा कर दूं, फिर इसे काला टीका लगा कर अपनी गोद में ले के सुलाऊँगी ।
लोकेशानन्द कहता है कि यों भगवान भी सज़ा देकर सजा देते हैं । जिसे भगवान की कृपा पर विश्वास है, वह शोक में भी अपना भला जान कर प्रसन्न हो रहे ।

दोस्तों अगर यह कहानी आपसबो को अच्छी लगी हो तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्याद शेयर जरुर करे एवं यह कहानी से हमसबो को क्या सिख मिली आप अपना राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दे ।

 

Read also:-

दो सागे भाई की कहानी

पत्नी की सच्ची कहानी

Interesting General GK Questions

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *